Friday 30 January 2009
THE LAST LOVE -LETTER
DEAR "to whom it may concern "..
bsnl , idea , reliance , cdma, tata ... मुझे telecom में कोई interest नहीं हैं , पर जब से तेरे प्यार में पड़ा हूँसस्ते -सस्ते offers के चक्कर में इतना जान गया हूँ इस टेलिकॉम क बारे में की core में तो जॉब पक्की हैं । तेरे सेजब भी मै L.C. पर मिला हूँ( the girl u come with uska number kya hain??) , तुझसे तेरी friend पूछती हैं बन -मख्हन लोगी या dieting पर हो ??----मेरे दिल ने हर बार चाहा
की तू dieting बोल ........पर तुने हर बार बन -मखहन ही चुना ॥ ..लगता हैं तू मुझसे प्यार नहीं करती वरना तू मेरेदिल की बात सुन लेती ॥ ये तो फिर भी ठीक हैं पर तेरे को ebba , aman और ip mall घुमाने में जितने रुपये waste किए उन में तो एक second - hand laptop आ जाता ,core के साथ software भी strong हो जाता ..परनहीं तेरे प्यार में ऐसा पड़ा की देश का backbone बनने की जगह क्लास का back bencher बन के रह गया ..तेरेसे बात घंटो में होने लगी और मेरी height और grades के बीच का अन्तर कम होने लगा ॥ तेरी बड़ी -बड़ी आंखेउफ्फ्फ !! क्या क़यामत धती थी पहले ---पर आब जब तुम अपनी आंखे बड़ी बड़ी करती हो तो कलेजा काँप जाताहैं --पता नहीं क्या मांग लो? फिर कोई नई डिमांड !!
पहले तेरे काले लंबे बालों में सूरज को शांत करने लायक अँधेरा था , पर अआब जो तुम हर हफ्ते अपने बाल dye करवाती हो तो मेरे बालों में सफेदी आ गई हैं ॥ boyfriend से तुम्हारा guardian लगने लगा हूँ ॥
from
"the victim boyfriend"
Saturday 24 January 2009
रेत घरौंदा
एक रेत -घरौंदा मेरा था , एक रेत - घरौंदा उसका था ...
एक टूटी छन्नी उसकी थी ....... एक गोल सी चकरी मेरी थी !
एक बोली मेरी जो सुनती ..... दौडी -दौडी आती थी वो .... खिड़की से वो झाका करती ... कैसे स्वांग रचाती थी वो ......
बड़ी बड़ी सी आंखे उसकी ......... कितने सवाल बरसाती थी वो ....! उस पगली को जो भी कहता ... सब सच मान ,सुन जाती थी वो ....
लंबे काले बाल थे उसके ... चूम हवा खुल जाते थे ....... चोटी उसकी जो मै खिचु ...... एक मीठी गाली सुनाती थी वो ......
गली गली हम घुमा करते ..... सब जग अपना बनाती थी वो . प्यारी - तोतली बातों से ।
दिल सब का बहलाती थी वो ......
जो अम्मा उसको डाट लगा दे ..... चुगली मुझसे लड़ती थी वो ..... थक जाती जब रो -रोकर ...... तो मेरे कंधे सो जाती थी वो .........!!
खेल -खेल में दुनिया बसती ..... आप ही रोंती , आप ही हँसती ..... मुझसे कहती "तुम ताम पल दाओ "...... ख़ुद रोंटी बैठ बनाती थी वो .......!
एक दिन मै रूठा था उससे ,
गुस्सा भी फुटा था उसपे .....
अपनी रोटी दरिया में फेंकी॥
यूँ करवाचौथ मानती थी वो....
और ,
जिस दिन मै मिलने ना आता ...... मीरा सी बन जाती थी वो ...!!
वैसे तो तेज़ हवा से भी डरती ... पर कभी नहीं जताती थी वो ..... कास कर मेरा हाथ पकड़ कर ......... पेडों से भूत भगाती थी वो ...
एक शाम भी ऐसे आई जब ........ खिड़की उसकी खली थी ........ ना स्वांग रचाती वो आई .. ना गाली की गुन्जाईस थी ......
चेहरा उसका भूल गया मै ....... गाली उसकी याद नहीं ......... दिन भर तो हँस भी लेता हूँ ....... शाम को बड़ा रुलाती हैं वो .....
एक दिन मै रूठा था उससे ,
गुस्सा भी फुटा था उसपे .....
अपनी रोटी दरिया में फेंकी॥
यूँ करवाचौथ मानती थी वो....
और ,
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